गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

CTET भाषा के महत्वपूर्ण बिंदू


भाषा की परिभाषाएँ
 महर्षि पतंजलि के मतानुसार- व्यक्ता वाचि वर्णों येषां त इसे व्यक्तवाचः कहने का भाव है कि वर्णों में व्यक्त होने वाली वाणी ही भाषा है।
 भर्तृहरि- भाषा यथार्थ को गढ़ती है (यानी पहले से ही मौजूद किसी यथार्थ को महज उद्घाटित भर नहीं करती।
 आचार्य दंड़ी- यह सृष्टि अंधकार में डूब गई होती, यदि भाषारूपी प्रकाश का अभ्युदय न हुआ होता।
 कामाता प्रसाद गुरू- भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों पर भली-भाँति प्रकट कर सकता है और दूसरों के विचार आप स्पष्टतया समझ सकता है।
 भोलानाथ तिवारी- भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चारित स्वेच्छाचारी ध्वनि प्रतीकों की वह अवस्था है जिसके द्वारा एक समाज के लोग आपस में भावों और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
 बाबूराम सक्सेना- भाषा से तात्पर्य, विचारों एवं भावों का व्यक्तिकरण प्रमुख रूप से स्रोत, ग्राह्य ध्वनि चिह्नों से प्रमाणित होता है।
 डॉ श्यामसुन्दर दास- मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान-प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि संकेतों का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते हैं। पाश्चात्य मत
 मैक्स मूलर- भाषा और कुछ नहीं, केवल मानव की चतुर बुद्धि द्वारा आविष्कृत एक ऐसा उपाय है, जिसकी सहायता से हम अपने विचार सुगमता और तत्परता से प्रकट कर सकते हैं।
 प्लेटो- विचार आत्मा की मूक या ध्वनि-हीन बातचीत है पर वही जब ध्वनि के रूप में होठों द्वारा प्रकट होती है, तो उसे भाषा कहते है।
 प्लेटो ने धातु या रणन का सिद्धांत दिया, जिसे मैक्समूलर ने फिर से आख्यात करते हुए बताया है कि शब्द और अर्थ के अन्तर्गत नैसंगिक एवं रहस्यात्मक संबंध होती है, ध्वनियाँ सुनकर ही यह कहा जा सकता है कि अमुक ध्वनि अमुक वस्तु कही है- उदा- पेड़ से पत्ता नीचे गिरा। इस गिरने की पत्त ध्वनि से पत्ता शब्द का निर्माण हुआ।  पियाजे- भाषा अन्य संज्ञानात्मक तंत्रों की भाँति परिवेश के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से ही विकसित होती है।  क्रोंच- भाषा अभिव्यक्ति की दृष्टि से उच्चरित एवं सीमित ध्वनियों का संगठन है।
 चॉम्सकी- भाषिक क्षमता जन्मजात होती है, वरना भाषिक व्यवस्था को सीखने की प्रक्रिया संभव ही नहीं होती। वे मानते हैं कि भाषा सीखे जाने के काम में, वैज्ञानिक पड़ताल भी साथ-साथ चलती रहती है।  वाइगोत्सकी- बच्चे की भाषा समाज के साथ संपर्क का ही परिणाम है साथ ही बच्चा अपनी भाषा के विकास के दौरान दो तरह की बोली बोलता है- पहला आत्मकेन्द्रित और दूसरी सामाजिक।
 स्वीट- ध्वन्यात्मक शब्दों के द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है।
 फ्रांसिसी विद्वान रूसो के अनुसार मनुष्य ने ही भाषा को जन्म दिया है।
 ब्लाक और ट्रैगर- भाषा यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की वह व्यवस्था है जिसकी सहायता से कोई सामाजिक वर्ग आपस में सहयोग करता है।
 कैंब्रिज इन्साइक्लोपीडिया ऑफ लैंग्वेज की मानें तो दुनिया में 6326 भाषाएँ मौजूद हैं।
 भाषा का अभिलक्षण
• भाषा पैतृक संपत्ति नहीं है।
• भाषा नियमबद्ध व्यवस्था है।
• भाषा अर्जित संपत्ति है।
• भाषा सामाजिक वस्तु है।
• भाषा का अर्जन अनुकरण के माध्यम से होता है।
• भाषा निरंतर परिवर्तनशील है।
• प्रत्येक भाषा की भौगोलिक सीमा होती है।
• भाषा का प्रवाह जटिलता से सरलता की ओर होता है।
• भाषा संप्रेषण का सर्वोतम माध्यम है।
• भाषा सर्वव्यापक है।
• भाषा व्याकरण सम्मत तथा शुद्ध होती है।
• भाषा गद्यात्मक होती है। • भाषा में एकरूपता की विशेषता भी होती है।
• भाषा के मौखिक और लिखित रूपों में भी एकरूपता व समानता होती है। जो शब्द रूप उच्चरित किया जाता है उसकी वर्तनी भी व्याकरणिक नियमों के अनुसार एक तथा निश्चित होती है।
• भाषा ध्वनियों, शब्दों, वाक्यों आदि का समूह है।
• भाषा के विविध प्रयोगों से ही भाषा कि विविध कुशलताएँ आती हैं।
• बच्चे विद्यालयी शिक्षा की शुरुआत से पहले ही भाषा की जटिलताओं और नियमों को आत्मसात कर पूर्ण भाषिक क्षमता रखते हैं।
• भाषाएँ एक प्रकार से स्मृतिकोश का भी काम करती हैं।
• भाषाएँ सामाजिक-साँस्कृतिक रूप से बनती हैं।
• भाषा संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका होती है।
• संयुक्त परिवार में बच्चे का भाषिक विकास बेहतर बनता है।
• भाषा सोचने, महसूस करने और चीजों से जुड़ने का उत्तम साधन है।
• भाषा को सीखने के लिए समृद्ध भाषिक वातावरण होना चाहिए।
• भाषा अध्ययन में मुख्य तत्व उच्चारण की स्पष्टता है।
• भाषा संरचना के प्रमुख तीन अंग है- 1. उच्चारण, 2. रचना, 3. अर्थ।
• भाषा सीखने में जो त्रुटियाँ होती हैं वे सीखने की प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा होती हैं, जो समय के साथ दूर होने लगती हैं। बच्चे की त्रुटियाँ अध्यापक को मदद करती हैं कि कोई बच्चा कैसे सीखता है।
• भाषा जीवन की विभिन्न स्थितियों को साधती है।
 • भाषा की कक्षा में यह जरूरी है कि भाषिक पृष्ठभूमि पर किसी को पीछे न छोड़ा जाए।
 • प्रत्येक कक्षा भाषा की कक्षा होती है।
 • भाषा में चार विशेषताएँ होना आवश्यक है- स्वायत्तता, मानकीकरण, ऐतिहासिकता, जीवंतता।
• भाषा का प्रमुख गुण है – बोद्धात्मकता, सरलता, सहजता, सप्राणता, व्याकरण समतता, परवर्तनशीलता आदि। • भाषा की जड़ मनुष्य की वाणी है, जिससे भाषा वकिसत हुई है।
• एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ हो सकती हैं। लेकिन किसी बोली के अन्तर्गत एक या अधिक भाषाएँ नहीं हो सकती।
• भाषा समाज सापेक्ष होती है अर्थात् यह उसी में बोली-समझी जाती है। व्यक्ति सापेक्ष नहीं।
• तर्कसंगत चिंतन का शिक्षण, भाषा-शिक्षण का आवश्यक अंग है।
• उचित स्वराघात, अनुतान, गति, यति, लय और प्रवाह आदि को ध्यान में रखने पर भाषा की जीवंतता आ जाती है।
• भाषा का रूप मानक है और बोली व्यवहारिक। हिंदी खड़ी बोली का मानक रूप है।
• मानकीकरण का अर्थ- किसी वस्तु के मनमाने ढंग से प्रयोग की प्रवृत्ति को रोककर, या कहें नियंत्रित कर अनुकरणयोग्य आदर्श स्थिति में लाने के लिए उसके विविध रूपों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर समान अभिलक्षणों से युक्त करना मानकीकरण कहलाएगा। (केंद्रीय हिंदी निदेशालय)
• मानक स्वर के आविष्कार का श्रेय लंदन विश्वविद्यालय के भाषा-विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर सर डेनियल जोंस तथा उनके सहयोगियों को है।
• सन् 1966 में शिक्षा मंत्रालय ने मानक देवनागरी वर्णमाला प्रकाशित की जिसे बाद में पुस्तक रूप में भी प्रकाशित किया गया पुस्तक का नाम था- परिवर्धित देवनागरी वर्णमाला। • सन् 1967 में हिंदी वर्तनी का मानकीकरण नाम से पुस्तक प्रकाशित हुई।
• सन् 1983 में देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी का मानकीकरण नाम से पुस्तक प्रकाशित हुई।
• आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तथा अन्य आचार्यों ने हिंदी भाषा और उसकी लिपि तथा वर्तनी के मानकीकरण के क्षेत्र में कार्य किया।
• बालक की भाषा तभी प्रभावशाली और सुव्यवस्थित होती है जब वह मानक भाषा का प्रयोग करता है।
• संप्रेषक (वक्ता)-संदेश-माध्यम-श्रोता-परिणाम-प्रतिपुष्टि (संचार प्रक्रिया)
• मैकलुहान- माध्यम ही संदेश है। माध्यम- (संकेत, चिह्न, भाषा, इशारा) • दुनिया को ठीक से समझने एवं अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने हेतु कम से कम आठ भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है- रशियन, चाइनीज,जापानी, स्पेनिस, जर्मन, अंग्रेजी, अरबी, फ्रांसीसी है।
• अगर दो भाषाओं के संकेतकों के मध्य किसी भी प्रकार की समतुल्यता सम्भव नही है तो मानव ज्ञान का प्रसार और विकास नहीं हो सकता था.  अनौपचारिक भाषा • माता-पिता • घर-परिवार • परिवेश • पड़ोस • समाज • जनसंचार के माध्यम
  औपचारिक भाषा • क्षेत्र के पढ़े-लिखे समाज द्वारा स्वीकृत भाषा।
  भाषा के रूप
 • मौखिक को वाचिक भी कहते हैं। (असल रूप) • लिखित • आंगिक (बैनन, नैनन, शैनन) • यांत्रिक (रेडियो, टीवी, कंप्यूटर...)
  राजभाषा • सरकारी कामकाज के लिए प्रयुक्त भाषा अंग्रेजी में इसे Official Language कहते हैं। • अध्याय 17, अनुच्छेद- 343 की अष्टम अनुसूची में। • संविधान का अनुच्छेद 343 (1) में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया।
• इसी अनुच्छेद के खंड (2) में फिर कहा गया है कि संविधान के लागू होने के 15 वर्ष की अवधि तक सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी के प्रयोग की छूट रही।
• संविधान की अष्टम अनुसूची में भारत की 18 प्रमुख भाषाओं की स्थान मिला- असमिया, उड़िया, बंगाली, गुजराती, मराठी, उर्दू, कश्मीरी, पंजाबी, हिन्दी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, संस्कृत, सिंधी, मणिपुरी, नेपाली, कोंकणी।
• वर्तमान में यह भाषाएँ 22 हो गई हैं- डोगरी, संथाली, मैथिली, बोडो, 18+4= 22
• संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा- आज पहली बार हम अपने संविधान में एक भाषा स्वीकार कर रहे हैं, जो भारत संघ को प्रशासन की भाषा होगी...
  राष्ट्रभाषा • समूचे राष्ट्र को भावात्मक एकता के सूत्र में बांध सकती है। इसे निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है। • National Language, • Lingua franca (लिंग्वा फ्रान्का) • लोकभाषा
  राज्यभाषा • किसी प्रदेश की राज्य सरकार द्वार उस राज्य के अंतर्गत प्रशासनिक कार्यों को संपन्न करने के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है। • राज्य की विधानसभाएँ बहुमत के आधार पर एक भाषा को या अधिक भाषाओं को राज्य भाषा घोषित कर सकती है। • जम्मू कश्मीर – कश्मीरी / डोगरी • त्रिपुरा - बंगला / अंग्रजी • उत्तर प्रदेश - हिन्दी / उर्दू • त्रिपुरा - बंगला / अंग्रेजी • सिक्कीम - नेपाली / अंग्रेजी • गोवा - कोंकणी • गुजरात - गुजराती • महाराष्ट्र - मराठी • पंजाब - पंजाबी • आंध्र प्रदेश - तेलुगु • तमिलनाडु - तमिल • कर्नाटक - कन्नड • केरल - मलयालम • नागालैंड , मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम - अंग्रेजी
  मातृभाषा • औपचारिक शिक्षा में मातृभाषा का तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष की भाषा से होता है, जिसके माध्यम से उस क्षेत्र का पढ़ा लिखा समाज विचार-विनिमय करता है।
• घर की बोली को माता की बोली तथा समाज द्वारा स्वीकृत भाषा को मातृभाषा कहते हैं।
 • मातृभाषा बच्चे के ज्ञान के विकास में सहायक है। • मातृभाषा विचार-विनिमय और शिक्षा ग्रहण करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।
• मातृभाषा में ही बच्चे का मस्तिष्क सबसे पहले क्रियाशील होता है।
• प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए।
• अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फ़रवरी को मनाया जाता है। 17 नवंबर, 1999 को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति दी। • इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवँ सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।
• अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्मारक, आशफिल्ड पार्क , सिडनी, ऑस्ट्रेलिया ।
 • लिन्ग्गुआपाक्स पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है।
• विश्व में विगत 40 वर्षों में लगभग 150 अध्ययनों के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में ही शिक्षा होनी चाहिए।
• इजरायल के 16 विद्वानों ने नोबल पुरस्कार प्राप्त किए है। सभी ने अपनी मातृभाषा हीब्रू में ही कार्य किया है।
• पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने स्वयं के अनुभव के आधार पर कहा है कि ‘‘मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना, क्योंकि मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की (धरमपेठ कॉलेज नागपुर)।’’
• रविन्द्र नाथ ठाकुर ने कहा है:- ‘‘ यदि विज्ञान को जन-सुलभ बनाना है तो मातृभाषा के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जानी चाहिए।’’
• महात्मा गांधी ने ठीक ही कहा हैः-‘‘ बच्चों के मानसिक विकास के लिए मातृभाषा उतनी ही आवश्यक है जितना शारीरिक विकास के लिए माँ का दूध’’
 त्रिभाषा
• त्रिभाषा सूत्र संविधान में नहीं है। सन् 1956 में अखिल भारतीय शिक्षा परिषद् ने इसे मूल रूप में अपनी संस्तुति के रूप में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में रखा था और मुख्यमंत्रियों ने इसका अनुमोदन भी कर दिया था।
 • 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका समर्थन किया गया था और सन् 1968 में ही पुन: अनुमोदित कर दिया गया था। • सन् 1992 में संसद ने इसके कार्यान्वयन की संस्तुति कर दी थी।
• यह संस्तुति राज्यों के लिए बाध्यता मूलक नहीं थी क्योंकि शिक्षा राज्यों का विषय है।
• सन् 2000 में यह देखा गया कि कुछ राज्यों में हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त इच्छानुसार संस्कृत, अरबी, फ्रेंच, तथा पोर्चुगीज भी पढ़ाई जाती हैं।
• त्रिभाषा सूत्र में 1-शास्त्रीय भाषाएं जैसे संस्कृत, अरबी,फारसी। 2-राष्ट्रीय भाषाएं (22) 3-आधुनिक यूरोपीय भाषाएं हैं (अंग्रेजी) • इन तीनों श्रेणियों में किन्हीं तीन भाषाओं को पढ़ाने का प्रस्ताव है। संस्तुति यह भी है कि हिन्दी भाषी राज्यों में दक्षिण की कोई भाषा पढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।

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