अधिकार हैं पर कई सवाल हैं
डा. नीरज
भारद्वाज
भारत का संविधान 26 जनवरी,1950 को लागू किया गया. संविधान की प्रस्तावना में उल्लेख है कि, ‘ हम. भारत के लोग भारत को एक प्रभुत्वसंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के
लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर
की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता
तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस
संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत
करते हैं।ʼ इसके साथ ही न्याय की परिभाषा
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में की गयी है.
स्वतंत्रता में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास,
धर्म और उपासना की स्वतंत्रता सम्मिलित की गई है और समानता का अर्थ
है, प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता। लेकिन स्वतंत्रता के बाद देश की तस्वीर
दिन-प्रतिदिन बदलती गई और वर्तमान तक आते-आते यह सब बातें केवल कागजों में दब कर
रह गई लगती है। आज भारत की तस्वीर इतनी बदल गई कि ऐसा लगता है कि मातृत्व और स्नेह
की मूर्त भारतीय नारी, नर के एक बडे वर्ग की काम और वासना की मूर्त बन गई है। इसका
दूषपरिणाम यह हो रहा है कि रोजाना देश के किसी न किसी कोने से बलात्कार की घटना
सामने आ रही है।
दिल्ली के वसंत विहार में हुए गैंगरेप ने पूरे देश ही नहीं दुनिया
को भी हिला दिया और महिला सुरक्षा तथा उसके बारे में चर्चाएं होने लगी। लेकिन हुआ
क्याॽ उस घटना के बाद भी देश के अलग-अलग हिस्सों में बलात्कार की घटनाएं घट रही
हैं। इन घटनाओं पर नजर डाले तो दिल असीम वेदना से बैठ जाता है। समाचारपत्र में
किसी न किसी राज्य में हुई बलात्कार की घटना सामने आ जाती है। उत्तर प्रदेश के
अलीगढ़ जिले में एक युवक ने पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या
का प्रयास किया, तो उत्तर प्रदेश के ही हमीरपुर जिले में एक युवक ने छह साल की
बच्ची से रेप किया। दिल्ली में ही एक लडकी से बलात्कार न करने में कामयाब हुए लडके
ने लडकी के गले में राड डाल दी और उसे घायल किया। दिल्ली के ही शाहबाद डेरी इलाके में एक 23 वर्षीय विवाहिता से चलती कार में गैंगरेप का
मामला सामने आया। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के खांडवा के आनंद निवास गर्ल्स हॉस्टल
में रहने वाली लडकियों को प्रेग्नेंसी टेस्ट करने और उसके चलते लडकियों के साथ
होने वाली शर्मसार घटना ने तो लोगों को हिला कर ही रख दिया। अब सोचना यह है कि
लडकियां कहां सुरक्षित है और उनका भविष्य कैसे उदय होगा। संविधान कि धारा 15 में
यह प्रावधान भी किया गया है कि, “ राज्य महिला और बच्चों के
लिए विशेष सुविधा की व्यवस्था करेगा ।” लेकिन इन सब घटनाओं
को देखते हुए ऐसा कुछ भी नहीं लगता।
एक ओर तो महिलाओं के सम्मान, शिक्षा
और सुरक्षा को लेकर पूरी दुनिया में आठ मार्च को एक साथ महिला दिवस मनाने का
निश्चय किया गया, तो दूसरी ओर देश-दुनिया में महिलाओं के साथ घट रही ये घटनाएं
अभिशाप बनती जा रही हैं। सोचना यह है कि भारत में स्त्री का स्थान इतना ऊंचा था,
श्रेष्ठ था, तो फिर यहां उनकी इतनी दुर्दशा
क्यों हुई। यह सब सवाल हमे कटघरे में खडा करते हैं और हमारे विकास तंत्र पर भी चोट
करते है।
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